Description
यह लघु कलेवर ग्रन्थ (डिजिटल कॉपी) ‘कौलान्तक पीठ’ से जुड़ी ‘प्रारम्भिक जानकारियों से भरा है। जो भी व्यक्ति ‘कौल सिद्ध धर्म’ पर आधारित ‘कौलान्तक पीठ’ के बारे में जानना चाहता है। उसे सदा ही ये संशय रहता है कि वो ‘कौलान्तक पीठ’ को जानने की कहां से शुरुआत करे? ‘सिद्ध धर्म’ में सिद्धों का पूजन, दीक्षा, साधना आदि क्या और क्यों होती है? ‘कौलान्तक पीठ’ वास्तव में है क्या? ऐसे बहुत से प्रश्न मन में निरंतर चलते रहते हैं?
कोई ‘कौलान्तक पीठ’ में ‘दीक्षा’ प्राप्त करना चाहता है। कोई ‘कौलान्तक पीठ’ के गुरुकुल ‘सिद्ध विद्या पीठ’ में आ कर ज्ञान व विद्या ग्रहण करना चाहता है। किसी के ह्रदय में ‘गुरुमण्डल’ को जानने की जिज्ञासा भी है। बहुत से जिज्ञासु यन्त्र और मंडल के बारे में जानना चाहते हैं और इन दोनों में क्या अंतर है? ये जानना-सीखना चाहते हैं। साधारण दीक्षा, विशेष दीक्षा, सूक्ष्म दीक्षा क्या होती है ये जानना चाहते हैं।
तो ये लघु ग्रन्थ ‘जिज्ञासा’ आपके सभी 100 प्रश्नों का उत्तर देगा। इस ग्रन्थ को स्वयं ‘कौलान्तक पीठाधीश्वरी- गुरु माँ पद्मप्रिया नाथ’ जी ने लिखा व सम्पादित किया है। इस ग्रन्थ को प्रश्नोत्तर के रूप में लिखा गया है। इसे पढ़ते हुए आपका ‘कौलान्तक पीठ’ व ‘सिद्ध परम्परा’ सम्बंधित ज्ञान अवश्य बढ़ेगा। यह ग्रन्थ आपको हिमालय के योगियों के अद्भुत संसार से भी परिचित करवाएगा।
‘कौलान्तक पीठ’ व इसकी परम्पराओं को समझने का यह ‘प्रारंभिक’ ग्रन्थ है। इसे पढ़ने के बाद ही आपको ‘कौलान्तक पीठ’ आ कर ‘दीक्षा’, ‘ज्ञान’ व साधना सीखनी चाहिए। ‘कौलान्तक पीठ’ आपकी अपनी ‘ज्ञान परम्परा’ है इसे जानना और इसका ज्ञान रखना आपके लिए बहुत आवश्यक है। इसी उद्देश्य को सम्मुख रख कर, आपके लिए इस ग्रन्थ की डिजिटल कॉपी को संकलित किया गया है। आशा है आपको हमारा ये प्रयास पसंद आएगा।
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