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Deva Prayshchit & Pravesh Mantra Vidhanam

देव प्रायश्चित एवं प्रवेश मंत्र विधान इस लघु ग्रन्थ में ‘सिद्ध परम्परा’ की ‘देव प्रायश्चित एवं प्रवेश मंत्र विधान’ की विधियों का संकलन है, जो कि ‘कौलान्तक पीठ’ साधनाओं और परम्पराओं का ‘वर्तमान’ में भी प्रमुख भाग है। ‘कौलान्तक पीठ’ का अधिकांश पूजन क्रम ‘कौलान्तक पीठाधीश्वर पूजन’, ‘कुल देवी-देवता पूजन’, ‘योगिनी मण्डल पूजन’, ‘गुरु मण्डल पूजन’ जैसे पूजन विधानों पर आधारित होते हैं। प्रस्तुत लघु कलेवर ग्रन्थ को स्वयं ‘ज्येष्ठ कौलान्तक पीठाधीश्वरी माँ पद्मप्रिया नाथ’ जी ने संकलित किया है। इस लघु कलेवर ग्रन्थ का उद्देश्य आपको ‘कौलान्तक पीठ’ की साधनाओं और परम्पराओं से परिचित करवाना है। यदि आप सिद्धों के आध्यात्मिक संसार में आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको अपने बुरे कर्मों का प्रायश्चित करना पड़ता है। जिसके लिए ‘देव प्रायश्चित’ का विधान प्रचलित है और यदि आप कोई भी साधना करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको प्रथमत: ‘प्रवेश मंत्र का विधान’ संपन्न करना पड़ता है। ‘प्रवेश मंत्र’ के बाद ही आप ‘कौलान्तक पीठ’ की साधनाओं को संपन्न कर पाते हैं। तो आप ये सब अपने ही घर पर कैसे कर सकते हैं? इसकी प्रायोगिक ‘कौलाचारी कर्मकाण्डीय लघु विधि’ इस ग्रन्थ में वर्णित है। यदि आप साधक हैं तो आपको ये लघु किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ की डिजिटल कॉपी अवश्य मन भायेगा।

Description

देव प्रायश्चित एवं प्रवेश मंत्र विधान इस लघु ग्रन्थ में ‘सिद्ध परम्परा’ की ‘देव प्रायश्चित एवं प्रवेश मंत्र विधान’ की विधियों का संकलन है, जो कि ‘कौलान्तक पीठ’ साधनाओं और परम्पराओं का ‘वर्तमान’ में भी प्रमुख भाग है। ‘कौलान्तक पीठ’ का अधिकांश पूजन क्रम ‘कौलान्तक पीठाधीश्वर पूजन’, ‘कुल देवी-देवता पूजन’, ‘योगिनी मण्डल पूजन’, ‘गुरु मण्डल पूजन’ जैसे पूजन विधानों पर आधारित होते हैं। प्रस्तुत लघु कलेवर ग्रन्थ को स्वयं ‘ज्येष्ठ कौलान्तक पीठाधीश्वरी माँ पद्मप्रिया नाथ’ जी ने संकलित किया है। इस लघु कलेवर ग्रन्थ का उद्देश्य आपको ‘कौलान्तक पीठ’ की साधनाओं और परम्पराओं से परिचित करवाना है। यदि आप सिद्धों के आध्यात्मिक संसार में आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको अपने बुरे कर्मों का प्रायश्चित करना पड़ता है। जिसके लिए ‘देव प्रायश्चित’ का विधान प्रचलित है और यदि आप कोई भी साधना करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको प्रथमत: ‘प्रवेश मंत्र का विधान’ संपन्न करना पड़ता है। ‘प्रवेश मंत्र’ के बाद ही आप ‘कौलान्तक पीठ’ की साधनाओं को संपन्न कर पाते हैं। तो आप ये सब अपने ही घर पर कैसे कर सकते हैं? इसकी प्रायोगिक ‘कौलाचारी कर्मकाण्डीय लघु विधि’ इस ग्रन्थ में वर्णित है। यदि आप साधक हैं तो आपको ये लघु किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ की डिजिटल कॉपी अवश्य मन भायेगा।